Why Are Baniyas Rich? बनिये इतने अमीर क्यों होते हैं? हमारे देश मे बहुत से कम्युनिटीज है और हर कम्युनिटी के अपने-अपनी खासियत है किसी से आप बहादुर सीख सकते हो, तो किसी से कल्चरल एनरिचमेंट, तो कोई मशहूर है अपने खान-पान और हुनर के लिए। ऐसे एक फेमस कम्युनिटी है बनिया कम्युनिटी जिसका नाम सुनते ही हमें याद आता है बनिया
चाहे एयरप्लेन हो या धनिया सब कुछ बेचता है बनिया
बनियों की बिजनेस स्किल्स पर अगर आपको जरा सा भी डाउट है तो चलिए आगे बढ़ने से पहले एक पंचतंत्र की एक कहानी सुनिए
“एक बार एक जमींदार का घोड़ा बीमार हो गया।…जमींदार ने सोचा बनिए के पास बहुत पैसा है जरा उसे चूना लगाया जाए, वह बनिए के पास गया और बोला -भाई मुझे पैसों की जरूरत है तुम मेरा घोड़ा खरीद लो और पैसे दे दो मैं केवल ₹1000 में घोड़ा दे दूंगा।
बनिया बोला -चौधरी साहब मेरे पास तो केवल 500 ही है देना है तो बोलो
जमींदार को यह भाव सही नहीं लगा और वह वापस घर चला गया। घर जाते ही उसने देखा कि उसका घोड़ा तो मर चुका है वह फौरन बनिया के पास गया और बोला -ठीक है मुझे तुम्हारा सौदा मंजूर है।
बनियों ने उसे 500 दिए और जमींदार वह पैसे लेकर कुछ दिनों के लिए गांव से बाहर चला गया कुछ महीनो के बाद जब वह गांव वापस आया तो उसने देखा कि बनिया के दुकान और बड़ी हो गई है वह सोच रहा था बनिया उसे गालियां देगा, लेकिन बनिया ने कहा -भाई आओ कैसे हो कुछ चाय पानी ले लो।
जमींदार हैरान हो गया उसने बनिए से पूछा -यह सब कैसे हुआ
बनिया ने कहा -आपका ही दिया हुआ है सब कुछ
जमींदार बोला – पर मैंने तो तुम्हें मरा हुआ घोड़ा बचा था।
बनिया बोला – मैंने उस मरे हुए घोड़े से 10000 कमा लिया जमींदार हैरान रह गया।
बनिया ने कहा – मैंने एक लॉटरी का विज्ञापन दिया कि जो जीतेगा मैं उसे ₹1 में घोड़ा दूंगा बहुत से लोग लॉटरी खरीदने आए और लॉटरी की टिकट बेचकर मैं 10000 कमाये।
जमींदार ने पूछा -अरे तो विजेता को क्या दिया घोड़ा तो मरा हुआ था।
बनिया ने कहा -विजेता को मैंने उसके टिकट का दाम यानी की ₹10 और ₹1 एक्स्ट्रा जो उसने घोड़ा खरीदने के लिए दिए थे वह वापस कर दिए और कहा कि घोड़ा इलाज के दौरान मर गया तुम्हारा जो भी नुकसान हुआ है वह वापस ले लो वह भी खुश मैं भी खुश लगभग ₹600 लगाकर मैं 10000 कमा लिया। ”
तो देखा आपने चाहे मरा हुआ घोड़ा हो या मिट्टी का हो। सच में बनिया कुछ भी बेचकर प्रॉफिट कमा सकते हैं।
लेकिन कैसे आज के इस लेख में हम इनके सीक्रेट को रिवील करेंगे और जानेंगे कि वह कौन से स्ट्रैटेजिक है जिन्हें फॉलो करके बनिए एक् सक्सेसफुल बिजनेसमैन बनते है।
Why Are Baniyas Rich? बनिये इतने अमीर क्यों होते हैं?
1 Baniye matlb account ke pakke
आपको वह खाते की लाल किताब याद है आपको जो फिल्मों में मुनीम जी के हाथ में नजर आती थी उसे छौपड़ी कहते हैं यह छोपड़ी बनियों के लिए किसी गीता से काम नहीं, हर दिवाली वह इसकी पूजा करते हैं, अपने अकाउंटिंग के नए साल का शुभारंभ वह एक नई बुक के साथ करते हैं।
क्यों? केवल उनका कोई अंधविश्वास नहीं बल्कि सिंबॉलिस्ट करता है रिस्पेक्ट को की मनी मैनेजमेंट में अकाउंटिंग कितनी जरूरी है चाहे बिजनेस हो या आम जिंदगी अगर आपने पैसे का हिसाब नहीं रखा तो आप भी वाक्य की तरह यही कहते रह जाओगे कि यार पैसा कहां जाता है कुछ पता ही नहीं चलता और भाई जिस चीज को आप मेजर नहीं कर पा रहे उसे मैनेज कैसे करोगे।
इसके ऑपोजिट अगर आप किसी बनियों को देखोगे तो वह हिसाब का बिल्कुल पक्का होगा इसलिए इनके ऊपर यह कहावत है कि दोस्ती पक्की हिसाब अपना अपना चाहे घर का खर्चा हो या बिजनेस में लगेवाला पैसा या अपने एम्पलाइज की सैलरी सब का हिसाब बनिए बिल्कुल बारीकी सी रखते हैं
और रखे क्यों ना हिसाब के बिना छोटे से छोटा बिजनेस भी सक्सेसफुल नहीं हो सकता यहां सिखाने वाली बात यह है कि मनी मैनेजमेंट सीखने से पहले आपको मनी मेजरमेंट सीखना होगा ताकि आपको पता चले कि आपका पैसा आखिर कहां जा रहा है अब इसका यह मतलब ये नहीं है कि आप ₹10 रुपए का भी हिसाब रखो क्योंकि यह बहुत इंप्रैक्टिकल है लेकिन बड़े हिसाबो कर रखना बहुत जरूरी है।
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बनिया शब्द संस्कृत का शब्द वाणिज्य से बना है, जिसका मतलब है कॉमर्स। यानी जिसके नाम में ही ट्रेड और कॉमर्स जैसे शब्द रहते हैं भला वो बिजनेस कैसे नहीं सीखेंगे यह कहना गलत नहीं होगा कि बिजनेस उनके जींस में ही होता है हमारे घरों में जिस तरह पॉलिटिक्स करंट अफेयर्स और रोज की बातें डिस्कस होती है
इस तरह बनियों के घरों में धंधा रोकड़ा जैसे टॉपिक पर बात होती है ओर डिस्कस करते हैं कि कौन सा बिजनेस चल रहा है मार्केट में, किसकी डिमांड है, कौन सा रो मटेरियल कहां सस्ता मिलता है, किसने कैसे पैसा बचाया और ज्यादा प्रॉफिट कमाया, टैक्स कैसे बचाया जाए।
यानि बचपन से ही यह फूल फाइनेंशियल नॉलेज मिल जाता है इसलिए जन्म जन्म से ही उनके दिमाग में बिजनेस फिट होता है।
चाहे अंबानी हो या अदानी या मित्तल या गोयल उनके पिछले जेनरेशन भी कहीं ना कहीं बिजनेस में इंवॉल्व रही है जहां हम मिडिल क्लास लोग स्कूल और कॉलेज की फॉर्मल एजुकेशन लेकर खुद को एक अच्छा एम्पलाई बनाने की तैयारी करते हैं वही बनिए अपने बच्चों को बिजनेस और फाइनेंस सीखाकर नौकरी देने वाला बना देते है।
अब यहां पर सिखाने वाली बहुत बड़ी बात यह है कि हमें भी अपने घरों में ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां हम बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन दे ताकि उन्हें पैसों के इंपॉर्टेंस पता चल सके।
लेकिन ज्यादातर घरों में इसका उल्टा ही हो रहा है, मां-बाप बच्चों के इतना पैंपर कर रहे हैं कि उन्हें बिना मेहनत के सब कुछ मिल रहा है उन्हें कुछ पता ही नहीं होता कि पैसा क्या है कहां से आता है कैसे कमाया जाता है और उन्हे बस इतना पता है कि जो चीज हमें पसंद है वह हमें मम्मी पापा दिला देंगे इस तरह वह कभी पैसा बचाना नहीं सीख पाएंगे।
3. Adversity me opportunity dhundhna
कोरोना का वह टाइम जब हर कोई परेशान था, ऐसे में इंडिया के वारेन बुफेट कहलाने वाले राकेश झुनझुनवाला ने विनय दुबे के साथ आकाश एयरलाइंस में 49% शेयर्स खरीद लिए। उस समय जब लोग शहर से बाहर जाना तो दूर, घर से बाहर भी नहीं निकल रहे थे ऐसे में एयरलाइंस बिजनेस में पैसा लगाना थोड़ा अजीब था तो लेकिन यही तो है एडवर्सिटी में अपॉर्चुनिटी ढूंढने की कला है।
कोरोना के कारण एविएशन इंडस्ट्री की कमर टूट चुकी थी ऐसे में कई एयरलाइंस अपने एयरक्राफ्ट कम कीमतों में बेच रही थी झुनझुनवाला यह जानते थे कि एक न एक दिन लोग फिर से घरों से बाहर आएंगे घूमेंगे फिरेंगे और तब एविएशन इंडस्ट्री में एकबार फिर से बम आएगा और हुआ भी ऐसा ही कोरोना के समय आकाश है कम दामों पर बहुत सारे एयरक्राफ्ट खरीदे और अपने इनिशियल कास्ट को कम कर लिया।
जैसे ये कोरोना खत्म हुआ अगस्त 2022 में विनय और राकेश झुनझुनवाला ने मिलकर आकाश एयरलाइंस लॉन्च कर दी अपने पहले उड़ान भरने के 1 साल के अंदर ही आकाश अपने कंपीटीटर्स स्पाइसजेट को पीछे कारते हुए 1 बिलीयन डॉलर्स की वैल्यूएशन वाली कंपनी बन गई।
बनियों की यह क्वालिटी हमें सिखाती है कि एडवर्सिटी लाइफ का एक पाठ है आप चाहो तो मुश्किल समय में डर कर कंफर्ट को चुन सकते हो या फिर आप लाइफ की स्टोरी अपने हाथ में लेकर एडवर्सिटी में भी अपॉर्चुनिटी ढूंढ सकते हो.
नंबर 5 मार्केट में टिकना है तो मार्केट को समझना जरूरी है
राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका स्कूल के पक्के दोस्त थे दोनों बचपन से ही सिंगल फेस डबल चकरी दिमाग के थे। यानी टोटल बनिया बुद्धि।
वो कभी होममेड ग्लू बनाकर बेचते, कभी साबुन बनाकर बेचते।
इस तरह बचपन से ही उन्होंने प्रोडक्ट बनाना और बेचना सीख लिया था। जब वह बड़े हुए तो उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें कुछ बड़ा करने के लिए कैपिटल चाहिए।
ऐसे में गोयनका के डैड ने उन्हें ₹20000 दे दिया और इस तरह जन्म हुआ इमामी कॉस्मेटिक का। राधेश्याम का मार्केट स्टडी से यह तो समझ में आ चुका था कि इंडियन मार्केट में फॉरेन कॉस्मेटिक की बहुत डिमांड है, लेकिन हाई प्राइस होने के कारण देश के ज्यादातर मिडिल क्लास लोग उसे अफोर्ड नहीं कर पाते थे यानी उन्हें अपने टारगेट पापुलेशन मिल चुकी थी मिडिल क्लास लोग जो इंटरनेशनल प्रोडक्ट use करना चाहते थे वह भी सस्ते दामों में!
तभी उनका दिमाग चला के सारा खेल तो विजुअल्स का है लोकल प्रोडक्ट और इंपॉर्टेंट प्रोडक्ट में मेजर डिफरेंस था वो था बस पैकेजिंग का बस फिर क्या था उन्होंने इंडियन प्रोडक्ट में कर दी फॉरेन जैसी पैकेजिंग और फिर कमाल हो गया।
चाहे फेयर एंड हैंडसम हो दरमि कूल या बरसों पुराना बोरोप्लस इमामी के प्रोडक्ट्स ने हर जगह धूम मचा दी, वह घर-घर पहुंचने वाला इंडिया का सबसे पहले कॉस्मेटिक ब्रांड बन गया यह कैसे हुआ यह पॉसिबल हुआ क्योंकि राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका ने मार्केट को समझा।
और यही खासियत होती है बनियों की कि वह पहले मार्केट को समझते हैं उसके अकॉर्डिंग धनदर्शन दें। उनका फोकस सस्टेनेबिलिटी, कस्टमर सेटिस्फेक्शन, ट्रस्टबिल्डिंग और लो कॉस्ट प्रोडक्शन पर रहता है इसके साथ ही वह अपने कंपीटीटर्स पर भी पूरी नजर रखते हैं और मार्केट पाने वाले सभी चेंजेज के लिए खुद को तैयार रखते हैं।
इससे आप यह सीख सकते हो कि बिजनेस करने से पहले मार्केट स्टडी और टारगेट कस्टमर को समझना बहुत जरूरी है मार्केट में होने वाली हर छोटी बड़ी चीज डायरेक्टली और इनडायरेक्ट आपका बिजनेस पर असर डाल सकती हूं इसलिए एक सक्सेसफुल बिजनेस पर्सन वही है जो मार्केट को अपनी उंगलियों पर रखें।
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